राजस्थान सरकार की खाद्य सुरक्षा योजना (NFSA) में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। अब वे परिवार जिनकी वार्षिक आय 1 लाख रुपये से अधिक है, इस योजना का लाभ नहीं उठा पाएंगे। इसके अलावा, आयकर दाता और निजी चार पहिया वाहन मालिकों को भी योजना से बाहर कर दिया जाएगा।
इस बदलाव से दिहाड़ी मजदूर, असंगठित क्षेत्र के कर्मचारी और छोटे व्यवसायी सबसे अधिक प्रभावित होंगे, क्योंकि उनकी वार्षिक आय 1 लाख रुपये से अधिक हो सकती है। सरकार ने गिव अप (Give Up) अभियान के तहत 28 फरवरी 2025 तक स्वैच्छिक रूप से योजना छोड़ने की समय सीमा दी है। जो लोग इस तिथि तक आवेदन नहीं करेंगे, उनसे 27 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से गेहूं की वसूली की जाएगी।
खाद्य सुरक्षा योजना 2025 में बदलाव – मुख्य बिंदु
✔ 1 लाख रुपये से अधिक वार्षिक आय वाले परिवार योजना से बाहर होंगे।
✔ आयकर दाता और चार पहिया वाहन मालिक भी योजना के पात्र नहीं होंगे।
✔ दिहाड़ी मजदूर, जिनकी दैनिक आय 600 रुपये या उससे अधिक है, वे भी प्रभावित हो सकते हैं।
✔ सरकार ने गिव अप अभियान की तारीख 31 जनवरी से बढ़ाकर 28 फरवरी 2025 कर दी है।
✔ अगर कोई व्यक्ति स्वेच्छा से योजना नहीं छोड़ता, तो उससे 27 रुपये प्रति किलो गेहूं की वसूली की जाएगी।
✔ नगर परिषद और ग्राम पंचायत सर्वे के बाद अपात्र लोगों को सूची से हटाया जाएगा।
डीग जिले में 525 परिवारों ने स्वेच्छा से योजना छोड़ी
डीग जिले में कुल 1,53,470 राशन कार्ड धारक हैं, जिनमें 7,14,894 यूनिट्स (लाभार्थी सदस्य) शामिल हैं। अब तक 525 परिवारों ने स्वेच्छा से आवेदन करके अपने नाम योजना से हटवाए हैं। इन परिवारों में 2635 यूनिट्स शामिल हैं, जिन्होंने 31 जनवरी तक आवेदन किया था। अब सरकार ने 28 फरवरी तक का समय और बढ़ा दिया है।
अगर कोई परिवार इस समय सीमा तक योजना नहीं छोड़ता, तो नगर परिषद और ग्राम पंचायत सर्वे करके उन परिवारों को योजना से बाहर करेगी और 27 रुपये प्रति किलो के हिसाब से गेहूं की वसूली करेगी।
1 लाख वार्षिक आय नियम के कारण गरीब होंगे प्रभावित?
सरकार के अनुसार, खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ केवल उन्हीं परिवारों को मिलना चाहिए जिनकी वार्षिक आय 1 लाख रुपये से कम है। लेकिन वर्तमान में दिहाड़ी मजदूर भी 600 रुपये प्रतिदिन कमा सकते हैं, जिससे उनकी मासिक आय 18,000 रुपये और वार्षिक आय 2,16,000 रुपये हो जाती है।
अगर इस नियम को सख्ती से लागू किया जाता है, तो योजना से अधिकांश गरीब और असंगठित क्षेत्र के श्रमिक बाहर हो जाएंगे।
सरकार को चाहिए कि:
✔ आय सीमा को 1 लाख से बढ़ाकर कम से कम 2.5 लाख रुपये करे।
✔ जो लोग सिर्फ दिहाड़ी मजदूरी पर निर्भर हैं, उन्हें योजना में बनाए रखा जाए।
✔ गिव अप अभियान पूरी तरह स्वैच्छिक हो, जबरन नाम न हटाए जाएं।
खाद्य सुरक्षा योजना 2025 से बाहर होने वाले परिवार – नई गाइडलाइन
सरकार ने खाद्य सुरक्षा योजना से निम्नलिखित श्रेणी के परिवारों को बाहर करने का फैसला किया है:
✅ जिनकी वार्षिक आय 1 लाख रुपये से अधिक है।
✅ आयकर दाता (Income Tax Payers)।
✅ चार पहिया वाहन मालिक (Car Owners)।
✅ जिनके पास बड़ा व्यवसाय या संपत्ति है।
✅ जो पहले से ही किसी अन्य सरकारी खाद्य योजना का लाभ उठा रहे हैं।
अगर कोई व्यक्ति इन श्रेणियों में आता है और स्वेच्छा से योजना नहीं छोड़ता, तो उससे 27 रुपये प्रति किलो गेहूं की वसूली की जाएगी।
सरकारी बयान – अधिकारी का क्या कहना है?
डीग जिले के जिला रसद अधिकारी रामचंद्र के अनुसार:
“गाइडलाइन के अनुसार 1 लाख रुपये वार्षिक आय वाले परिवार इस योजना में पात्र नहीं होंगे।
28 फरवरी तक स्वैच्छिक रूप से नाम नहीं हटाने वालों से ₹27 प्रति किलो के हिसाब से वसूली की जाएगी।”
खाद्य सुरक्षा योजना गिव अप अभियान – कैसे हटवाएं नाम?
अगर कोई व्यक्ति इस योजना से स्वेच्छा से बाहर होना चाहता है, तो उसे SSO पोर्टल पर जाकर आवेदन करना होगा।
ऑनलाइन नाम हटाने की प्रक्रिया:
1️⃣ SSO Rajasthan की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं – sso.rajasthan.gov.in
2️⃣ SSO ID से लॉगिन करें।
3️⃣ “Food Security Scheme Give Up” ऑप्शन पर क्लिक करें।
4️⃣ अपनी जानकारी भरें और सबमिट करें।
5️⃣ आपका नाम योजना से हटा दिया जाएगा।
खाद्य सुरक्षा योजना 2025 से बाहर होने के प्रभाव
1️⃣ दिहाड़ी मजदूरों और गरीब परिवारों को सस्ता राशन नहीं मिलेगा।
2️⃣ जो परिवार योजना छोड़ने में असमर्थ होंगे, उन्हें 27 रुपये प्रति किलो की दर से भुगतान करना होगा।
3️⃣ खाद्य सुरक्षा योजना के लाभार्थियों की संख्या घटकर बहुत कम हो सकती है।
4️⃣ गरीब परिवारों की आर्थिक स्थिति और खराब हो सकती है।
क्या सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए?
✔ 1 लाख रुपये की वार्षिक आय सीमा को बढ़ाना चाहिए।
✔ दिहाड़ी मजदूरों और असंगठित क्षेत्र के लोगों को योजना में बनाए रखना चाहिए।
✔ गिव अप अभियान पूरी तरह से स्वैच्छिक होना चाहिए, जबरदस्ती नहीं होनी चाहिए।
✔ सरकार को सर्वेक्षण के आधार पर ही पात्रता तय करनी चाहिए, न कि केवल आय पर।
निष्कर्ष
राजस्थान सरकार की खाद्य सुरक्षा योजना 2025 में बदलाव से हजारों गरीब परिवार प्रभावित हो सकते हैं। दिहाड़ी मजदूरों, छोटे दुकानदारों और निम्न मध्यम वर्ग के लोगों की वार्षिक आय 1 लाख से अधिक होती है, लेकिन वे फिर भी जरूरतमंद हैं।
अगर सरकार ने 1 लाख रुपये की आय सीमा लागू की, तो बड़ी संख्या में लोग सस्ते राशन से वंचित हो जाएंगे। सरकार को इस फैसले पर पुनर्विचार करने की जरूरत है ताकि गरीबों का हक का गेहूं उनसे न छीना जाए।
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